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पी पी रटन लगा रखी है / उर्मिल सत्यभूषण
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पी पी रटन लगा रखी है
दिल में अगन जला रखी है
मस्त मलंगों की बस्ती में
धूनि एक रमा रखी है
अपने अपने दिल की कह लो
देखो बज़्म सजा रखी है
आयेंगे कब राम हमारे
कब से आस लगा रखी है
जो प्यासे हैं उनकी ख़ातिर
उर्मिल धार बहा रखी है।