भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पेटेंट / ओम बधानी
Kavita Kosh से
ऊंन चैंळ अर मांड
करैल्या पेटेंट
भोळ हमारी डाळि बुर्दि जड़ि बुटि
पर्छेंक हमारी बोलि भासा
हमारी संस्कृति
नितरसेंक कैं सि
हमुतैं न करद्यौंन
पेटेंट ।