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पेड़ का हूँ चाहे / नंदकिशोर आचार्य

पत्ता नहीं हूँ केवल
पेड़ की सिद्धि मैं हूँ—
खिल कर मुझ में ही
पाता वह ख़ुद को

सूखता हूँ जितना
उतना मरता जाता है वह
जितना जीता हूँ उसे
उतना हरा होता है

पेड़ का हूँ चाहे
पर पेड़ मुझ से है ।

5 जून 2009