भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार निभाना, भूल न जाना / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
प्यार निभाना, भूल न जाना
सजन सलोने, मैं भई आज तेरी
साथ जिऊँगी, साथ मरूँगी
सजन सलोने, सांची ये प्रीत मेरी
प्यार निभाना, भूल न जाना
सजन सलोने, मैं भई आज तेरी
सजनवा, बलमवा, नैना मेरे
झुक-झुकके हर बार आगे तेरे, कहते हैं ये
प्यार निभाना, भूल न जाना …
पलकों में आके, सपने सजाके
तुमको क़सम है रुलाना ना तुम, जाना ना तुम
प्यार निभाना, भूल न जाना …
साँवरिया, डगरिया ये प्यार की
खो आई मैं राह संसार की, हर द्वार की
साथ जिऊँगी, साथ मरूँगी …
(फ़िल्म - बेग़ाना 1963)