विश्व-विभव की अमर वेलि पर 
फूलों-सा खिलना तेरा। 
शक्ति-यान पर चढ़कर वह 
उन्नति-रवि से मिलना तेरा। 
भारत ! क्रूर समय की मारों 
से न जगत सकता है भूल। 
अब भी उस सौरभ से सुरभित 
हैं कालिन्दी के कल-कूल।
विश्व-विभव की अमर वेलि पर 
फूलों-सा खिलना तेरा। 
शक्ति-यान पर चढ़कर वह 
उन्नति-रवि से मिलना तेरा। 
भारत ! क्रूर समय की मारों 
से न जगत सकता है भूल। 
अब भी उस सौरभ से सुरभित 
हैं कालिन्दी के कल-कूल।