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प्रेम-दीया, बाती सगरो जलैवै सजना / अश्विनी
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प्रेम-दीया, बाती सगरो जलैवै सजना
दीया जलैवै हे सब्भै केॅ जगैवै हे
शांति के फूलोॅ सें
देशोॅ केॅ सजैवै हे
ई दीये नि बनतै अखंड सपना
हो अखंड सपना
प्रेम-दीया बाती सगरो जलवै सजना
कन्या सें सुनबै हे
कश्मीर सें कहबै हे
गंगा-यमुना में संग-संग नहैबै हे
माँटी रोॅ तिलक लगैबै सजना
हो लगैवै सजना
प्रेम-दीया बाती सगरोॅ जलैवै सजना