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प्रेम-1 / अर्चना भैंसारे
Kavita Kosh से
तुमने मेरी
अल्हड़ धारा को
समाहित किया
ख़ुद में
और दिया
समुद्र-सा विशाल
अस्तित्व
ख़ुद के भीतर...