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प्रेम-5 / अर्चना भैंसारे
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वो पहला ख़त
अभी भी रखा है
सन्दूक में सम्भाल कर
तुम्हारी अंगुलियों की
छुअन के साथ
जिसकी अन्तिम पंक्ति में
लिखा है तुमने
मेरा नाम...