एक फूल में कितने रंग
कितने रंगों में कितनी ख़ुशबुएँ
बनतीं और बिखरतीं
साझे सपनों से
बहुत कोमल हाथों से
रोपना था इन्हें
विश्वास और यथार्थ की ज़मीन पर
हमारे हाथों की
नरमाहट चली गई थी
वे भी बिखर गए मेरी तरह
तुम्हारी तरह।
एक फूल में कितने रंग
कितने रंगों में कितनी ख़ुशबुएँ
बनतीं और बिखरतीं
साझे सपनों से
बहुत कोमल हाथों से
रोपना था इन्हें
विश्वास और यथार्थ की ज़मीन पर
हमारे हाथों की
नरमाहट चली गई थी
वे भी बिखर गए मेरी तरह
तुम्हारी तरह।