♦ रचनाकार: अज्ञात
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प्रेम विवश भगवान शबरी घर आये,
लम्बे-लम्बे झाडू शबरी डगर बटोरी,
एही डगरिया आयें, राम शबरी घर आये। प्रेम...
कुश की चटइया शबरी झाड़ बिछाई,
आशन लगाये भगवान, शबरी घर आये। प्रेम...
काठ कठिवता शबरी जल भर ल्याई,
चरण पखारूँ मैं भगवान, शबरी घर आये। प्रेम...
मीठी-मीठी बेर शबरी दौना भर ल्याई,
भोग लगावे भगवान, शबरी घर आये। प्रेम...
तुलसीदास आस रघुबर की,
शिव री बैकुण्ठ पठाये, शबरी घर आये। प्रेम...