बचल कुचल
अँजोर जौन है
ओहू भी
कमुड़िया रात
लिपटत अपनावे है
अबभे
कुछ दूर में
धुक्का धुक्का अँधियार
पसीजत गिरत
घेरी
हाथ पसरले
सोफा पे पड़ले
कोरन्तिया
गहुराएते रह जाइ
आज
चिराग
ना बरी।
बचल कुचल
अँजोर जौन है
ओहू भी
कमुड़िया रात
लिपटत अपनावे है
अबभे
कुछ दूर में
धुक्का धुक्का अँधियार
पसीजत गिरत
घेरी
हाथ पसरले
सोफा पे पड़ले
कोरन्तिया
गहुराएते रह जाइ
आज
चिराग
ना बरी।