बच्चों का संग / हरेराम बाजपेयी 'आश'
बच्चों का संग, जीवन में भरता उमंग
बच्चे घर की खुशियाँ हैं
सतत बह रही नदियाँ हैं
निर्मल मन और कोपल तन,
इनको लगे न कोई जंग॥1॥ बच्चों का संग...
घर में बच्चे रहते हैं
फूलों जैसे हँसते हैं
इनको प्यार से चूमे तो
चन्दन-सी देते सुगन्ध॥2॥ बच्चों का संग...
कोई तुतलाता है बच्चा
कोई मुस्काता है बच्चा
इनकी आँखों में झाँको तो
पाओगे नवरंग॥3॥ बच्चों का संग ...
हर बच्चा है चाँद का टुकड़ा
मुस्कानों से हराते दु: खड़ा
निकले इनसे सुगन्ध॥4॥ बच्चों का संग...
जिस घर में बच्चे होते हैं
कान्हा-राम वहाँ होते हैं
ऐसी-ऐसी बातें कराते
सुनकर हो जाओ दंग॥5॥ बच्चों का संग...
प्रभु दे दो ऐसा वरदान
बन जाऊँ, बच्चा नादान
रोऊँ, गाऊँ इठलाऊँ आँगन में,
पाऊँ जीवन का आनद॥6॥
बच्चों का संग