मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बदरा उमड़ि-उमड़ि घन गरजय
बुन्दिया बरिस लागय ना
बदरा...
दादुर मोर पपीहा गाबय
जिया उमताबय ना, हो जिया उमताबय ना
बिरहक आगि कुहुकि कुहुकाबय
बइरी कोइलिया ना, हो बइरी कोइलिया ना
बदरा...
पिउ के पाती लिखब हम कत विधि
तइयो ने पिघलय ना, हो तइयो ने पिघलय ना
कन्त हमर हियहन्त भेल छथि
दरदो ने जानय ना, हो दरदो ने जानय ना
बदरा...