भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बदलती संज्ञा के देखते / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

रोज ही
जल-जला जाती हैं लडकियां
बाहर की दुनिया
रहती है जस-की-तस
क्रिया नही
संज्ञा भर बदलती है बस

जलजला आता नहीं कहीं कोई
जल-जला आती है चुपचाप
जल-जला आना है जिसे एक-न-एक दिन
यहां नहीं तो वहां सही
वहां नहीं तो कहीं और सही

दुनिया को इसी तरह चलते रहना है
लडकियों को इसी तरह जलते रहना है
एक ही क्रिया के साथ
बदलती संज्ञा को देखते रहना है !