बनजारा मन बहुत देर भटका यादों के गाँव में।
सहलाये कुछ फूल शूल भी बहुत सहेजे पाँव में॥
एक सहारा यादों की
डोरी का कर में थाम ,
गीत गा रहा रहे अधूरे
उन सपनों के नाम।
बेचारा मन करे बसेरा किस पीपल की छाँव में।
बनजारा मन बहुत देर भटका यादों के लिए गाँव में॥
चुटकी भर सुख की खातिर
सारा भूमंडल घूम कर ,
बार बार दुख ढोता उम्मीदों
के दामन को चूम कर।
आवारा मन भटके जाने चैन मिले किस ठाँव में।
बनजारा मन बहुत देर भटका यादों के गाँव में॥
भटक रही आंखें जाने
अनजाने मुखड़े हेरती ,
हृदय बाँसुरी बचपन के
बिछड़े मित्रों को टेरती
अनियारा मन हार गया सर्वस्व एक ही दाँव में।
बनजारा मन बहुत देर भटका यादों के गाँव में॥