राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सब सखी मिलकर मंगल गाओ बोध बढ़ाओ,
हिया उत्साओ-मधुर
राग स्वर लय सरसाओ, मधुर मिलन की इस बेला में,
मंजुल मंगल गान सुनाओ, मंगलाचार सुनाओ
सुर की ज्योति सजी है अंजना,
गूंजे सरगम पायल छम-छम
नई आस जगी हे मन में... सब...
घर के लोगों काहे ये संगम,
सखियन का ये पाव संगम
सुगम मधुर रस घोले अंगना, मंजुल मंगल गीत सुनाओ सब
सखी...