क्या अपनी बात को
मनवाने के लिए
बहस जरूरी है
चाहे बहस का
कोई तर्क ना भी हो
बहस के लिए
बुनावट क्यों
सीधे सीधे
क्यों नहीं कह देते
कि
यह काम है
या
वो काम है
जरूरी है
शायद आज
चिल्लाने का असर होता
है
शायद होता हो
यदि
कोई बहरा है तो
उसके लिए
क्या
जागरण या कैसा बैंड
आप
चिल्लाते रहिए
कुछ देर बाद
आप
स्वयं थक जायेंगे
और
घर को निकल जायेंगे
जैसे
अब मैं जा रहा हूँ