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बाजार बकेंदी बरफी (ढोला) / पंजाबी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाजार बकेंदी बरफी

मैंनू लैंदे निक्की जिही चरखी

ते दुखाँ दीया पूणीयाँ

जीवें ढोला !

ढोल जानी !

साडी गली आवें तैंडी मेहरबानी !


भावार्थ


--'बाज़ार में बरफ़ी बिकती है

मुझे छोटी-सी चरखी ले दो

और दुखों की पुनियाँ

जीते रहो, ढोला !

ओ ढोल, ओ प्राणधन !

तुम हमारी गली में आओ तो तुम्हारी मेहरबानी हो !'