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बादळिया / शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
आया च्यारूं मेर घूमनै
काळा-पीळा बादळिया
मोटा-मोटा टो‘कां वाळा
मन भावणियां बादळिया।
उडण खटोलै सा ए चालै
बायरियै पर हींडै हालै
भांत भंतीला मंड्या मांडणां
जग री सैर करै कुण पालै।
मोर नाचनै मौज मनावै
देख‘र आनै टाबरिया
आया च्यारूं मेर घूमनै
काळा-पीळा बादळिया।
ऊंचा भाखर सूं टकरावै
इण रै मन में भय नीं आवै
मन में नई तरंगां ले‘नै
चौमासै में घिर-घिर आवै।
भरगे ताल-तळाई नाळा
घणां रिझावै बादळिया
आया च्यारूं मेर घूमनै
काळा-पीळा बादळिया
धोरा हरखै धरती मुळकै
टीबै ऊभी खेजड़ली
बादळियां री आस लगायां
माणस जोवै बाटड़ली।
होगे नंग-धड़ंग गळी में
कूदै नाचै टाबरिया
आया च्यारूं मेर घूमनै
काळा-पीळा बादळिया।