भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बारिश के बाद / गाबोर ग्यूकिक्स / पंखुरी सिन्हा
Kavita Kosh से
बारिश के बाद
छत से बहता हुआ बरसात का पानी
तमाम पाइपों से गुज़रकर
इकट्ठा होता है कंकड़ों के बीच
छोटे छोटे गड्ढों में
बहता है जंगली घासों के बीच
सड़क किनारे की ज़मीन
उसे अपने भीतर नहीं सोखती
अँग्रेज़ी से अनुवाद : पंखुरी सिन्हा