बिना बोले भी कह जाते बहुत हैं
ये आंसू लफ्ज़ से अच्छे बहुत हैं
नदी में डूबते हर आदमी को
बचाने के लिए तिनके बहुत हैं
गरीबों के लिए मंहगे जो होंगे
तुम्हारे वास्ते सस्ते बहुत हैं
मिलेंगे नाम,पैसे और शोहरत
लुभाने के लिए तमगे बहुत हैं
ज़माने की चलन को क्या कहूँ मैं
जो खोटे हैं,वही चलते बहुत हैं
चमक कर कह रहीं हैं बिजलियां ये
उजाले हैं ,मगर खतरे बहुत हैं
बहकने से बचाना कान अपने
सियासी गाँव में चमचे बहुत हैं