क्यों मेरे भीतर 
यह सवाल 
बार-बार 
हर बार 
पनपता है?
हर किसी के पास 
प्यारी-सी माँ है
तो बापू
मुझे थामने को 
‘मेरी माँ कहाँ है’
बापू की
लाचार आँखों से
छलकता हुआ सावन 
लरजते हुए भावुक 
टूटे-फूटे शब्द 
हौले-हौले सबकुछ  
कह देते हैं
हिचकियाँ बतलाती है
कि
मेरी माँ मुझे बहुत 
याद करती है
जब भी
देखतीं हूँ आईना
मुझमें 
मेरी माँ दिखती है।