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बीज / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
पाक्यां धूड़ में मिळै
फेरूं ऊगै, घूंटीजै, तणै
फूलै, फळै अर
फेरूं बीज बणै।
आइज
थारी बांण
औ इज
थारौ धरम
आ इज
थारी मुगती।