बुढ़वा लोहार
खुरपी-कोदारि
हँसुआ-कुरहड़ि
छूरी आ तलवारकें
ओहिना दैछ काया
ठीक ओहिना
जेना कुम्हार
चाक पर गढ़ैत बासनकें
कवि
कागज पर लिखैत कविताकंे
चित्रकार कैनवास पर उकेरैत चित्रकें।
बुढ़वा लोहार
मौलाएल नहि अछि
पसेना दैछ ओकर
संघर्षक मिठास
बाँचल अछि ओकरामे
लिलसा।
श्रम-संस्कृतिक सूचक अछि बुढ़वा लोहार
बुढ़वा लोहार
पढ़ने नहि अछि
वेद आ पुराण
गीता आ रामायण
योगसूत्र आ कामसूत्र
तैयो
ओकरा कंठमें हूरल छैक
विद्यापतिक पदावली।