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बूट रहे तो तल्ला भी/ रामकिशोर दाहिया

              
बूट रहे तो तल्ला भी

['भारत का संविधान'
09, अगस्त, 2018 को
जलाये जाने के बाद]

राम रहे तो भीम रहेगा
ईश रहे तो अल्ला भी
गुरुद्वारे को पकड़ रखेंगे
नहीं झाड़ना पल्ला भी

देश सभी का बिना भेद के
मान-जान अधिकार मिले
बदलें चलो! विचार दमन के
सद्भावों को प्यार मिले
गाम रहे तो नीम रहेगा
शांति रहे तो हल्ला भी

आपस में लड़वाने वाले
अपनी रोटी सेंक रहे
ज्ञान बाँटने वाले धन्धे
सभी इष्ट को बेंच रहे
जाम रहे तो ढीम रहेगा
मुहर रहे तो छ्ल्ला भी

पच्चासी को उनंचास, बस!
पन्द्रह को इक्यावन रोटी
मन्दिर की भी अलग आमदें
आरक्षण की बोटी - बोटी
लाम रहे तो लीम रहेगा
ठूँठ रहे तो कल्ला भी

लोक हमारा खतरे में है
संविधान को फूँक रहे
समता किनको नहीं चाहिए
कितने लाल बिजूक रहे ?
झाम रहे तो झीम रहेगा
बूट रहे तो तल्ला भी
          
    
टीप :
गाम=गाँव
जाम=अवरुद्ध मार्ग
ढीम=ढेला
लाम=लोगों का समूह, सेना
लीम=नीबू
झाम=घुड़की, छल-कपट
झीम=ऊँघना

-रामकिशोर दाहिया