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बेकली / सोमदत्त
Kavita Kosh से
खोदा दूसरों का पिया
उठाया दूसरों का धरा
कुछ ऎसा करूँ
कि मेरे किए
मेरी ज़िन्दगी बदल जाए
जोड़ने, घटाने, गुणा करने, भाग देने में
जीवन का, जीने से
चाहे सुन्न आए
अपनी ज़िन्दगी अपने जिए अपनी कहलाए
कुछ ऎसा करूँ
कि अपनी ज़िन्दगी पर मुझे
हक़ मालिकाना मिल जाए