बेटी को जन्म मिले / बाबा बैद्यनाथ झा
मैं बेटी बनकर आऊँगी, फिर यह विस्तृत संसार मिले।
मैं भी आऊँ जग में पापा, मुझको भी माँ का प्यार मिले॥
मुझको आने दें बाहर अब, मैं घर में खुशियाँ लाऊँगी,
किलकारी मेरी गूँजेगी, सबके मन में छा जाऊँगी।
कुछ बड़ी बनूँगी उस दिन से, कामों में हाथ बटाऊँगी,
जब नाम लिखा देंगे मेरा, उसदिन से पढ़ने जाऊँगी।
भैया को राखी बाधूँगी, तो उनसे कुछ उपहार मिले।
मैं भी आऊँ जग में पापा, मुझको भी माँ का प्यार मिले॥
गर्भस्थ बालिका हूँ पापा, मारें मत बाहर आने दें,
कर्तव्य सलोनी बिटिया का, मुझको भी आप निभाने दें।
सब काम करूँगी अच्छे मैं, तब नाम वंश का बढ़ जाए,
फिर गर्व आपको भी होगा, जब कीर्ति पताका लहराए।
तब आप कहेंगे खुश होकर, यह बेटी बारम्बार मिले।
मैं भी आऊँ जग में पापा, मुझको भी माँ का प्यार मिले॥
बेटी ही सृष्टि चलाती है, सन्तति की वह माता बनकर,
सर्वस्व लुटाती रहती है, वह त्यागमयी दाता बनकर।
बन बहन बहू पुत्री पत्नी, सबका वह धर्म निभाती है,
प्रारब्ध दिलाकर पति को वह, भवसागर पार कराती है।
वह एक माँग ही करती है, बस जीने का अधिकार मिले।
मैं भी आऊँ जग में पापा, मुझको भी माँ का प्यार मिले॥