बेटी बीमार है! / मनोज चौहान
छः साल की बेटी
नहीं कर रही है अब
बातें पहले जैसी
शरीर का तापमान
सामान्य से कहीं अधिक है
बीमार है वह!
शिशु रोग चिकित्सक द्वारा
लिखे टेस्ट करवाने के लिए
प्रयोगशाला के बाहर
खून की जांच का
नमूना देने के लिए
पंक्तिबध है हुजूम।
माँ ने कर लिया है किनारा
वह नहीं देख पायेगी
बेटी के बाजू से खून निकालती
उस चूभती बेरहम सुई को
ये सब अब
पिता को ही करना है।
बेटी को गोद में उठाये पिता
दे रहा है हिम्मत
नन्ही मासूम को
कर रहा है उसे तैयार
खून निकालने के लिए
दिखा रहा है खुद की बाजू
जिससे कुछ रोज पहले
लिया गया था खून
ऐसे ही किसी परीक्षण के लिए।
नर्स द्वारा अन्दर बुलाये जाने पर
सिहर उठता है वह
इतनी घबराहट तो उसे
पहले कभी नहीं हुई।
नन्हे बाजू की नब्ज़ टटोलते हुए
नर्स चुभा देती है सुई
मगर नसें पड़ चुकी हैं थिथिल
सीरिंज की नोक को
दो – तीन बार
आगे-पीछे कर भी
नहीं निकल पा रही है
रक्त की धार
पिता का हृदय
कर रहा है क्रंदन
यह सब देखकर।
वह किए हुए है मजबूत खुद को
पुचकार रहा है बेटी को
बढा रहा है कसाव
अपने बाजुओं के घेरे का
आगोश में ली हुई
बेटी के चहुँ ओर।
दूसरी जगह सुई चुभोने पर
ढूंढ ली है अब नर्स ने
रक्त की धार
यह घटनाक्रम पीड़ादायक है
पिता के लिए
मगर शायद जरुरी भी
क्योंकि
बेटी बीमार है!