हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बेबे हे करम्यां की गत न्यारी
मेरे तै कही नहीं जावै
किसे के फिरते इधर उधर नै
कोए कोए तरसै एक पुतर नै
पर बन कुछ न पावै
बेबे हे...
कोए कोए ओढ़े सीड दुसाले
उसके बस्तर घणे निराले
किसै नै पाटै बी ना पावै
बेबे हे...
कोए कोए सोवै रंग महल मैं
उस के नौकर रहें टहल मैं
किसै के छान नहीं पावै
बेबे हे...