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भगवान कोई नहीं है / नवीन सागर

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जिसका कोई नहीं है
उसका भगवान है
क्‍योंकि भगवान कोई नहीं है.

वह बूढ़ी स्‍त्री कठिन चढ़ाई चढ़ती हुई
भूली हुई भगवान को
उसी की ओर बढ़ती हुई
कहीं नहीं
जा रही है
जो उसका भगवान है
किसी और का नहीं
कोई और उसके भगवान को मिटा रहा है
बूढ़ी स्‍त्री इससे बेखबर जा रही है.

उसे दुख मिटा रहे हैं वह मिटती हुई
कहती हुई भगवान से
बुदबुदाती
घर आ रही है.

दूर पहाड़ी पर प्राचीन मंदिर
और प्राचीन हो रहा है
उस धुंधले अंधेरे
पेड़ों के झुरमुट के पास
धूल में चींटियों कीड़ों में कहीं
सका भगवान सो रहा है
मंदिर में उसकी सूनी जगह को घूरता हुआ
मंदिर खड़ा है
गांव में सब सो रहे हैं
उनकी नींद का मौन गाना है रात.