प्रसंग:
श्रीकृष्ण के आने की राह जोहता एक कृष्ण-भाग। बारह मासा का संक्षिप्त रूप।
बाट कहिया ले जोहब यशोदा ललन॥टेक॥
पूव, माघ ओ फागुन गइल फगुआ के जून; नाहिं चइत महिनवां में अइलन सजन॥ बाट.॥
वैशाख जेठ धाम चलि गइलन घनश्याम; चलि गइलन अषाढ़ के समूचा लगन।
सावन भादो गइल बीतल आसिन के रीत; चित्त दरसन करे के चाहत हर छन॥ बाट.॥
कइलीं कार्तिक के आस, करत बाड़ कबिलास; कइसे कुबरी कन्हैया के बोधलसि मन।
‘भिखारी’ कहे कमर जोर, करीं कतिना ले शोर; नाहिं अइल तूं गइलन सुदी अगहन॥ बाट॥