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भलाई ने नहीं जीने दिया है / भाऊराव महंत
Kavita Kosh से
भलाई ने नहीं जीने दिया है।
शऊरी ने नहीं जीने दिया है।
ग़रीबी से निकल आया हूँ लेकिन,
अमीरी ने नहीं जीने दिया है।
अरे! मैं दूर ही अच्छा भला था,
क़रीबी ने नहीं जीने दिया है।
बहुत कंजूस था, तब तक सही था,
दिलेरी ने नहीं जी ने दिया है।
न था कुछ तो, न कोई पूछता था,
कमाई ने नहीं जीने दिया है।
उसे तब था यकीं, जब बेवफ़ा था,
वफ़ाई ने नहीं जीने दिया है।
रुकावट मज़हबी बन ज़िन्दगी में,
ख़ुदाई ने नहीं जी ने दिया है।