बीच मैदान में भीड़ोॅ से घिरलोॅ
सुन्दर तीन बरस रो बेटी,
हमजोली बच्चा सिनी छोड़ी
बापो संग डुगडुगी बजावेॅ
भूखें भला की की न करावेॅ।
भांति भांति करतब देखावेॅ
रस्सी पर भी दौड़ लगावेॅ,
पढ़बोॅ लिखबोॅ जानै नै छै
भावोॅ से वें भीड़ बढ़ावेॅ।
खेलै-कूदै के उम्मर ओकरोॅ
पढ़ै-लिखै के उम्मर ओकरोॅ
हाय मतुर परिवारोॅ खातिर,
सपना केॅ बलिदान करावेॅ
भूखें भला की की न करावेॅ।
बेटी पढ़ावोॅ, सुंदर नारा
सड़कोॅ पर है देखो खेला,
रस्सी पर बचपन दौड़े छै
वहाँ लगै छै डिजिटल मेला।
बापें ते बेटी के बचैलकै
पर अपनोॅ रोजगार बढ़ैलकै,
देश-दशा के दॉव लगाय केॅ
नुनिया से है काम करावेॅ
भूखें भला की की न करावेॅ।
बेटी बचावोॅ, बेटी पढ़ावोॅ,
बेटी के बचपन नै छीनोॅ।
बेटी के सामर्थ्य बढ़ावोॅ
बेटी के सम्मान बढ़ावोॅ।
बेटी रब के सुन्दर रचना,
बेटी घरो में प्रेम बढ़ावेॅ
बेटी तेॅ उन्मुक्त नदी छै,
पर समाज में बंधन पावेॅ
भूखें भला की की न करावेॅ।