भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
महिमा बिहार के / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
Kavita Kosh से
देखलों बहार एंगना घूमी-घूमी
गाबै हमरो बिहार हो झूमी-झूमी।
विक्रमशिला के गाथा, अपरमपार जी
समुन्दर केॅ मही देलकै, पर्वत मंदार जी
बुद्ध के दुआर देहरी चूमी-चूमी
गाबोॅ महिमा बिहार के झूमी-झूमी।
विद्यापति जी हमरोॅ, मैथली महान जी
भोजपुरी गीत-गाथा, भिखारी के शान जी
नेपाली के गीत गाबोॅ आमि तुमि
अंग अंगिका सुनबोॅ हो झूमी-झूमी।
साईकिल पे चिडियां नाकी, चहकै बहिनियाँ
हमरोॅ विकास देखी, चैकै छै दुनियाँ
नालंदा में लोग आबै जूमी-जूमी
गाबै हमरो बिहार हो झूमी-झूमी।