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माँटि आ स्त्री / दीप नारायण
Kavita Kosh से
कोदारि सँ
खनल गेल पहिले
मुक्का सँ गुथल
सानल गेल लात सँ
नचा-नचा चाक पर
बनाओल गेल बासन
सुखा, फेर रउद मे
भट्ठी मे पकाओल गेल
माँटि बजैत नहि छैक तेँ की!
सहैत छैक बहुत
आ स्त्री सेहो।