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मालवा में गीत मेरे गूँज जाएँ / केदारनाथ अग्रवाल

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मालवा में गीत मेरे गूँज जाएँ,
मैं यहाँ पर गीत गाऊँ,
वह वहाँ पर घनघनाएँ,
मालवा में आग का डंका बजाएँ।

मालवा में गीत मेरे गूँज जाएँ,
मैं यहाँ से नाग छोडूँ,
वह वहाँ पर फनफनाएँ,
मालवा में क्रांति का भूचाल लाएँ।

मालवा में गीत मेरे गूँज जाएँ,
मैं यहाँ से तीर मारूँ,
वह वहाँ पर सनसनाएँ,
मालवा में रक्त की ज्वाला जलाएँ।

मालवा में गीत मेरे गूँज जाएँ,
मैं यहाँ पर बीज बोऊँ,
वह वहाँ पर जन्म पाएँ,
मालवा की गोद में फल-फूल लाएँ।


रचनाकाल: २९-०९-१९५०