मिट्टी होगा, सोना होगा
कुछ ना कुछ तो होना होगा
नहीं उचटती नींद जहाँ पर
सपना वहीं सलोना होगा
पत्थर ना हो जाएँ पलकें
हँसी न हो तो रोना होगा
गर्द सफ़र की निकल सके भी
घर में कोई कोना होगा
बरखा के आसार नहीं है
बीज तो फिर भी बोना होगा