मिथिला गान / किसलय कृष्ण
जय तिरहुत विदेह नैमिकानन मिथिला
सुशोभित जगभाल पर चानन मिथिला
जाहि धरतीक सिया धिया, से सीतामढ़ीक भोर छी हम
हिमवन सँ बाबाधाम चलैत मैथिलीए बोलैत ठोर छी हम
रेणु केर खिस्सा खिसनी, छी गीत महुआ घटवारिन केर
कोस कोस पर रंगविरही भाषा हम जऽन बोनिहारिन केर
दुलरा दयाल, बहुरा गोढ़िन, छिकियै हम्मे सिमरिया धाम
राजा सलहेस, दीनाभद्री, हे लोरिक वीर शत-शत प्रणाम
जय इतिहासक उन्नत आनन मिथिला
जय तिरहुत विदेह नैमिकानन मिथिला
विद्यापतिक पदावली आ मांगैन केर कण्ठक राग छी हम
मण्डन केर वेद पढ़ैत सुग्गा, अयाचि बाड़ीक साग छी हम
ज्योति कारिखक भगतै हम्मे, छियै कारू के लहठा बथान
सिंघेश्वरनाथक तीर्थ हम्में, बाबा विशु राउतक डीह मचान
अकास चूमैत जनकपुर मे, गौरव रामानन्दक द्वार छी हम
सप्तरी ईनुरवा मोरंग धरि, भाषा केर कलकल धार छी हम
जय याज्ञवल्क्यक यज्ञप्रांगण मिथिला
जय तिरहुत विदेह नैमिकानन मिथिला
यैह महावीर केर वैशाली, विश्वक पहिल गणतंत्र छी हम
हम वेद पुराण आ बुद्ध ज्ञान, समरसता केर मंत्र छी हम
डाकवचन आ न्याय, सांख्य सन दर्शन केर हम धरती छी
सोना उगलब छाती सँ फेरो, से बाट जोहैत हम परती छी
राज बनैली, सिमरौनगढ़क संग गौरव प्राचीर दरभंगा मे
सौरा, कोसी, गण्डकी, कमला मिलन करी पावन गंगा मे
जय भारती भामतिक आंगन मिथिला
जय तिरहुत विदेह नैमिकानन मिथिला