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मिललोॅ मानुष तनमा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

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मिललोॅ मानुष तनमा भागोॅ सेॅ सत्संगवा करै लेॅ
सत्संगवा करै लेॅ हो सत्संगवा करैल लै ॥टेक॥
माय गरभ में कौल करलों हरि नाम जपै के
बाहर आय केॅ भूलि गेलौं मायावी दुनियां में
हे हमरोॅ गुरूदेव तोरा कोटि-कोटि परनाम॥1॥
चरणों में शीश झुकाय छी हम्में भाव सहित सुबह-शाम
पावन नाम के ज्ञान करैल्हेॅ देल्हेॅ दिव्य संदेश
दे दिव्य मार्ग के महान ज्ञाता तोरा कोटि-कोटि परनाम॥2॥
अन्न जल फल फूल तोंही दै छोॅ सकल जहान
सतनाम शंकर जपलकै, जपलकै कृष्णें, राम
वेहॅे नाम हमरहौ जपैल्होॅ तोरा कोटि-कोटि परनाम॥3॥