हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मीठी लागै बाजरे की राबड़ी रै
दल चक्की से हांडी पे गेरी
नीचे लगा दी लाकड़ी रे
मीठी लागै...
रांध रूंध थाली में घाली
ऊपर आ गई पापड़ी रै
मीठी लागै....
खाय खूय खटिया पर सूती
नींद सतावै बाखड़ी रै
मीठी लागै...