सखि हे गौना के दिन नैं बनैलकै मुझरका बभना मरलै ना
रात अन्हरिया ठनका ठनकै
बरसै कारी बदरिया।
पियबा बिनु अँखिया मोर बरसै
भींजी गेलऽ सुगबुग सेजरिया॥
मुझरका बभना मरलै ना सखि हे गौना के दिन नै बनैलकै
चिठिया पढ़ि-पढ़ि मऽन नैं अघैलऽ
सोचलों होतऽ मिलनमां।
बभना के पतरा में आग लागी गेलै
गौना के छेलै नैं दिनमां॥
मुझरका बमना मरलै ना सखि हे गौना के दिन नैं बनैलकै
कहै ‘प्रेमी’ सुनऽ पंडित जी
लिखऽ नैं है रं पतरा।
भरलऽ जवानी अकारथ जों जैथौं
जरथौं रोजे-रोज पतरा॥
मुझरका बभना मरलै ना सखि हे गौना के दिन नै बनैलकै