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मुझे चाहिए माँ का प्यार / भाऊराव महंत
Kavita Kosh से
खेल-खिलौनों की भरमार,
नहीं चाहिए मोटर–कार।
गुड्डे–गुड़ियों वाला खेल,
सबकुछ लगते मुझको फेल।
मुझे कहानी अथवा गीत,
मतलब नहीं हार या जीत।
खूब मिठाई के भंडार,
पूरी–खीर–दूध की धार।
केला–सेब–आम–अंगूर,
मिले मुझे चाहे भरपूर।
ये सब नहीं मुझे स्वीकार,
मुझे चाहिए माँ का प्यार॥