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मुड़कर देख-2 / भरत ओला
Kavita Kosh से
तुम्हारी पत्नी
हर बार
पैन की निब पर
‘एस्टीम’ की मांग के साथ
तैयार मिलती है
यह जानते हुए कि
सामने खड़ा नत्थुराम
अपने बच्चों के मुंह से
दूध की धार
छिन कर आया है
तुम्हारा पैन
रेडियम के टायर सा
दौड़ता रहता है
और तुम्हारा एक शौक
पूरा होने से पहले
दूसरा सरजीवण हो जाता है
और बेचारे नत्थुराम का
एक सदमा और बढ़ जाता है
और तुम सुबह शाम
भगवान के सामने
घंटी बजा-बजा
ईश् कृपा का प्रसाद मान
पूजा में
मग्न हुए जा रहे हो