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मुसहर / अच्युतानंद मिश्र
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गाँव से लौटते हुए
इस बार पिता ने सारा सामान
लदवा दिया
ठकवा मुसहर की पीठ पर
कितने बरस लग गए ये जानने में
मुसहर किसी जाति को नहीं
दुःख को कहते हैं