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मेज पर फाइल पटकते / प्रमोद तिवारी
Kavita Kosh से
मेज़ पर फाइल पटकते
फब्तियां कसते
दिन गुज़रते आपके
हम कांपते थर-थर
समय की बात है, सर!
तन पे है कर्फ्यू
मगर यह मन करे दंगे
दूब तक ज़ख्मी करे
यदि पांव हों नंगे
आप तो पहने हैं जूते
आपको क्या डर
होंठ के नीचे
तम्बाकू दाबने के क्षण
मांगने को कर रहे
हम आमरण अनशन
आपकी घंटी सुनें
अब आपके अफसर