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मेरा जीवन भरा हुआ है / रामकुमार वर्मा
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मेरा जीवन भरा हुआ है
विहगों के मृदु रागों में।
हृदय गूँजता है झींगुर के--
अविदित बँधे विहागों में॥
देह सिली है मुझसे, इन
ढीली साँसों के धागों में।
मेरी इच्छा लेकर यह नभ
भागा चार विभागों में॥
ये पल्लव हिल उठे, कौन-सा सुख दे गया वसन्त-समीर।
क्षितिज, तोड़ दो आज प्रेम से मेरी पृथ्वी का प्राचीर॥