मेरा सीना हाजिर है / खगेंद्र ठाकुर
नहीं, नहीं
इसे किसी तरह नहीं समझें
मेरा विद्रोह आप
बात इतनी-सी है कि
इस पूरे शहर में कहीं भी
जहाँ मैं पैदा हुआ और पला बढ़ा
अपने पसीने के मोती से कितने कंगूर सजाये
वहाँ मेरा कोई घर नहीं है
इसीलिए सो गया हूँ मैं
सड़क पर ही
रात का समय जान कर,
मुझे क्या पता महाराज कि
निकल आएँगे आप रात में भी,
आपके रास्ते में अवरोध हो गया है,
नहीं, नहीं,
ऐसा नहीं हो सकता
चले आइये आप
कदम बढ़ाइए आगे
मेरा सीना हाजिर है
आप पाँव उस पर
रखिये और बढ़ जाइए
नहीं कोई खतरा नहीं है
मैं शांतिप्रिय नागरिक आपका मतदाता हूँ
जनतंत्र है यह
और यह जनता का सीना है
संकोच मत कीजिए
किसी से नहीं कहूँगा मैं
आप तो अपने आदमी हैं
फिर अभी तो घुप्प अँधेरा है
कोई देखेगा भी नहीं
कि आपने पाँव रखा मेरे सीने पर
लेकिन जरा जल्दी कीजिए
रात का अंतिम पहर है यह
कुछ ही देर में
माहौल बदलने वाला है
कुछ ही देर बाद
आ धमकेगा सूरज
फिर तो दुनिया देख लेगी
मेरे सीने पर आपके पैर
फिर करवट बदलूंगा
आपके गिर जाने का
खतरा पैदा हो जाएगा तब
अभी कोई बात नहीं है
चले आइये आप
मेरे सीने पर कदम रख बढ़ जाइए,
हाँ, जरा जल्दी कीजिए.