मेरी कविता मेरी माँ की समझ में नहीं आई
हालाँकि वह उसी की ज़बान में लिखी गई थी
वह, बस, इतना समझी
कि मेरे बेटे की रूह को कोई तकलीफ़ है
पर इतना दुख मेरे होते हुए
आया कहाँ से
मेरी अनपढ़ माँ ने
ग़ौर से देखा मेरी कविता को
देखो लोगो,
मेरा यह जाया
अपनी माँ के बजाय
अपने दुख काग़ज़ से कहता है
मेरी माँ ने काग़ज़ अपने सीने से लगा लिया
इस उम्मीद में कि शायद ऐसे ही
बेटा क़रीब रहे
पंजाबी से अनुवाद: असद ज़ैदी