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मेरी सुबह / संज्ञा सिंह
Kavita Kosh से
सुबह होगी
नीम के कुछ फूल होंगे
ज़मीन पर
पत्तियाँ दो चार-चार
इधर-उधर
बिस्तर पर पड़ी होंगी
सुबह होगी
एक फूल गुलाब का
खिला-अधखिला
तुम्हारे पास होगा
तुम्हारे हाथों
एक फूल वाली सुबह
मेरे हाथों में उतर आएगी
सुबह होगी मेरी इस तरह