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मेरे पिता / प्राणेश कुमार
Kavita Kosh से
निर्मल हँसी
निर्मल हृदय
संघर्षों से भरा जीवन
भ्रष्टाचार रहित आचरण
कच्ची मिट्टी से बना आश्रय
खिलखिलाहट से भरा परिवार
अनुशासन
यही थे आप - मेरे पिता !
जब - जब मैं संघर्ष करता हूँ
संघर्षरत लोगों को देखता हूँ
रक्त में, संघर्ष की ऊष्मा के बीच
पाता हूँ आपको
मैं बार - बार
इस ऊष्मा को
जीवित रखना चाहता हूँ !
मैं महसूसता हूँ आपको
अपनी कविताओं की पंक्तियों में
घर की मिट्टी की सोंधी महक में
जिन्दगी जीने की हर ईमानदार कोशिश में
आप जीवन्त हैं मेरे पिता !